दिल्ली शराब घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से पूछा है कि यदि घोटाले की रकम से राजनीतिक दल को फायदा हुआ तो उसे आरोपी क्यों नहीं बनाया गया? सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल जेल में बंद दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान किया. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवी भट्टी की पीठ ने ईडी से एक दिन में जवाब मांगा कि मामले में राजनीतिक पार्टी को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया?\
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान मनीष सिसोदिया के वकील ने कहा कि जांच एजेंसियां लगातार ये दावा कर रही हैं कि सिसोदिया मनी लांड्रिंग में शामिल थे, उन्हें ये साबित करना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि जो भी आरोप हैं वे सभी ट्रायल का विषय हैं, लेकिन सिसोदिया को जेल में रखने के लिए लगातार कलाबाजी की जा रही है. जांच एजेंसियां जो दस्तावेज पेश कर रही हैं अदालत को इनका मकसद समझना होगा.
दिनेश अरोड़ा ने कई बार बदले बयान
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मनीष सिसोदिया के वकील ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सरकारी गवाह दिनेश अरोड़ा ने कई बार अपने बयान बदले हैं, बयान बदलने के बावजूद उसे जमानत मिल गई. कोर्ट में बताया गया कि दिनेश अरोड़ा को 6 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था, 19 जुलाई को उसका बयान दर्ज किया गया और 1 अगस्त का उसे जमानत भी दे दी गई.
बयान कैसे लिए गए ये जांच का विषय
मनीष सिसोदिया की ओर से अधिवक्ता ने तर्क रखे कि शराब घोटाला मामले में दूसरी आरोपी शरद रेड्डी को भी सरकारी गवाह बनाया गया और उसे भी जमानत दे दी गई. उन्होंने तर्क रखा कि वास्तव में ये जांच का विषय है कि आखिर इस मामले में बयान कैसे दर्ज किए गए. गिरफ्तार लोगों के साथ व्यवहार करने का यह सही तरीका नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने किया सवाल
मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवी भट्टी की पीठ ने ईडी की पैरवी कर रहे ASG एसवी राजू से पूछा कि जब ये कहा जा रहा है कि फायदा राजनीतिक दल को पहुंचा तो आखिर इस मामले में उस राजनीतिक दल को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया. यदि मनी लान्ड्रिंग का पैसा दल के पास गया है तो वह पक्षकार क्यों नहीं है? सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का वक्त दिया है.